लेखक:
मोरारि बापू
|
![]() |
![]() |
मजहब ए मोहब्बतमोरारि बापू
मूल्य: Rs. 350 इसीलिए महुवा हो या और कोई भी स्थान हो, बापू, मुसलिम, ख्रिस्ती, जैन, बौद्ध, सिख या यहूदी, कोई भी हो, उसे एक ही बात समझाने की प्रामाणिक प्रार्थना करते हैं कि हम सबके लिए अब तो हमारा मजहब, केवल, मजहब-ए-मोहब्बत ही है। आगे... |
 
1 पुस्तकें हैं|